पढ़-पढ़ कर दिमाग का बल्ब फ्यूज़ हो जायेगा
और चश्मा ठुक जायेगा
क्यों न उतना ही पढ़ा जाये जितना समझ में आ जाए
पूरे साल पढना है जरुरी
वरना किताब नहीं हो पाती है पूरी
जो बच्चे पढाई के समय करते है ऐश
वो नहीं कर पाते ज़िन्दगी को कभी कैश
जो इस असलियत को जान जायेगा
अंत में वही सफल हो पायेगा
अच्छा प्रयास है...एक पूरी पंक्ति में और उसकी अगली पंक्ति में भी वर्तनी की गलती है...यह भूलवश भी हो सकती है...जब आप कोई रचना दूसरे को पढ़ाना चाहते हैं तो उसे कई बार जांच लेना चाहिए ताकि कमी न रह जाए...
ReplyDeleteपूरे साल पढ़ना है जरूरी
.....नही हो पति(पाती) है पूरी
उम्मीद है खराब नहीं लगेगा...
http://veenakesur.blogspot.com/
यहां भी जरूर आएं...
इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDelete" भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की तरफ से आप को तथा आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामना. यहाँ भी आयें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर अवश्य बने .साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ . हमारा पता है ... www.upkhabar.in
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